वास्तविक – आइना भारत के इतिहास का
  ₹ 275 ( Paper Back )

  • Author       Param Kumar

  • ISBN          978-93-90835-48-5

  • Category        History

  • No of Pages      197

  • Publisher              Rudra Publications

  • SKU Code       RP-2021-0011

  • Book Size       33

  • Publishing Date   

  • Language       Hindi



- “ वास्तविकता-आईना भारत के इतिहास का” | यह एक ऐसी पुस्तक है जिसमें आपको भारत के उन महावीर, शूरवीर राजाओं , योद्धाओं और कुछ ऐसे अनगिनत अनसुलझे रहस्य के बारे में जानने को मिलेगा, जिनके बाड़े में शायद आप सोच भी नहीं सकते कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। आपको जानने को मिलेगा उन राजाओं के बारे में जो इतने वीर थे कि उन्हें भारत का सिकंदर और भारत का नेपोलियन और ना जाने कितने नामों से बुलाया जाता है| आपको जानने को मिलेगा उन महावीर राजाओं के बारे में जिन्होंने विवष कर दिया दूसरे देशों को भारत के सामने झुकने पर। इस पुस्तक में राज उठेगा इस बात से कि क्या सचमुच भारत ने कभी दूसरे देश पर आक्रमण नहीं किया था ? क्यों बोला जाता था भारत को सोने की चिड़िया? आपको जानने को मिलेगा पांडवों की उस सच्चाई के बारे में जो शायद आपने कभी जानी ना हो, कभी सुनी ना हों। साथ ही आपको जानने को मिलेगा महाभारत और रामायण में उपयोग होने वाले दिव्यास्त्रों के मंत्र के बारे में | जी हाँ इस पुस्तक में दी गई है कुछ दिव्यास्त्रों के मंत्र की जानकारी। आप उस राजा के बारे में भी जानेंगे जिस ने चीन को अपने सामने झुका दिया। आपको जानने को मिलेगा कि क्या सचमुच सिकंदरजीता था पोरस से या फिर पोरस ने हराया था सिकंदर को?, क्या था झेलम के युद्ध के पीछे का राज?,

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  • Name          Param Kumar

  • Website                  www.rudarpublications.com



About Author

“आयु केवल एक संख्या है और सफलता की कोई आयु सीमा नहीं है”। यह वाक्य ना जाने कितने लोगों ने कहा और मुझे इस वाक्य को लिखी हर चीज का एहसास तब हुआ जब मैंने यह पुस्तक लिखी, जिसका शीर्षक है “वास्तविकता-आईना भारत के इतिहास का”। यह पुस्तक मैंने लिखी है| मैं अर्थात कक्षा ग्यारहवीं का छात्र। यह पुस्तक केवल एक पुस्तक नहीं है, उन महावीर योद्धाओं के बलिदान की गाथा है जिन्हे अब शायद कहीं इतिहास के पन्नों में भुला दिया गया हैं| एक बार पुनः उन सब की आत्मा को जीवित करना मैं अपना धर्म मानता हूं।आपके साथ इस सफर में आपका सहयोग मैं यानी परम कुमार करूंगा। इस सफर को शुरू करने के पूर्व यह मेरा दायित्व है किे में आपको अपने बारे में भी कुछ जानकारियां उपलब्ध करवा दूं। मेरा जन्म सन 8 मार्च,2005 को रायपुर छत्तीसगढ़ में हुआ था। मेरे परिवार में आठ लोग हैं। मेरे दादाजी का नाम डॉक्टर हरेंद्र कुमार एवं दादी मां का नाम श्रीमती माया श्रीवास्तव है तथा मेरे माता-पिता का नाम डॉक्टर स्वाति श्रीवास्तव एवं डॉक्टर सौरभ कुमार है। इसके अलावा मेरे जीवन में तीन और लोग हैं जिनका मेरे जीवन में महत्वपूर्ण सहयोग रहा है| मेरे बड़े पापा डॉ संजय कुमार एवं मेरी दूसरी मां यानी मेरी बड़ी मां श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव| एक और व्यक्ति जिसका मेरे जीवन में बहुत बड़ा योगदान रहा है वह है मेरे बड़े भैया श्री सृजन कुमार। अगर आज आप यह पुस्तक पढ़ रहे हैं तो इसका श्रेय मात्र मुझे नहीं मेरे परिवार के लोगों को भी जाता है, जिन्होंने हर परिस्थिति में मेरा सहयोग किया और मुझे कभी भी किसी भी ऐसे कार्य को करने से जिससे मेरा भला हो मुझे रोका नहीं। मैं ऐसे परिवार से आता हूं जहां सब लोग इंजीनियर हैं। अगर मेरे परिवार वाले चाहते तो मुझ पर केवल पढ़ाई पर ध्यान देने का दबाव बना सकते थे| परंतु उन्होंने सदैव मेरा सहयोग किया, कभी भी किसी भी परेशानी या किसी भी व्यवधान के समय मुझे सही दिशा बताकर मेरा मार्ग प्रशस्त किया। आइए अब मैं आपको बताता हूं कि किस प्रकार से इस पुस्तक की रचना का शुभारंभ हुआ। यह घटना है 13 मार्च, सन 2018 की जब छत्तीसगढ़ में पुरातत्व विभाग ने “छत्तीसगढ़ के इतिहास पर रायपुर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया” जिसके बारे में मुझे मेरे पिता श्री ने बताया,तो मैंने अपने ज्ञान अनुसार छत्तीसगढ़ के इतिहास पर एक संगोष्ठी पत्र लिख दिया| परंतु मेरी आयु कम होने की वजह से मुझे उस संगोष्ठी में अपना संगोष्ठी पत्र पढ़ने का अवसर प्राप्त ना हो सका और मुझे इसकी जानकारी मेरे पिताश्री के द्वारा प्राप्त हुई जब उन्हें एक अनजान नंबर से फोन आया। संगोष्ठी कार्यक्रम के खत्म हुए तीन दिवस बीत चुके थे इसके पश्चात यानी मार्च की 17 मार्च को 2018 को एक और अनजान नंबर से मेरे पिताश्री को फोन आया और फोन पर एक सज्जन ने पूछा, “क्या मेरी बात परम कुमार के पिता श्री सौरभ कुमार से हो रही है?” तब मेरे पिता श्री ने कहा “जी मैं परम का पिता ही बात कर रहा हूं”। सामने बात कर रहे सज्जन ने मुझे और मेरे पिता श्री को छत्तीसगढ़ के हायर सेकेंडरी एजुकेशन के दफ्तर में बुलाया, जहां मेरी मुलाकात होती है माननीय श्री धीरेंद्र शर्मा जी से और यहां से मेरे जीवन का एक नया अध्याय शुरू होता है| मैं आज अपने जीवन में जो कुछ भी हूँ या जो कुछ भी कर रहा हूँ उसका श्रेय मैं मात्र 2 लोगों को देता हूँ, एक मेरा परिवार और दूसरा माननीय श्री धीरेंद्र शर्मा जी। धीरेंद्र शर्मा जी ने ना सिर्फ मेरा मार्ग प्रशस्त किया बल्कि उन्होंने मुझे छत्तीसगढ़ राज्य शासन के कई उच्च पद पर आसीन अधिकारियों से भी मिलवाया, जिन्होंने मेरा उत्साहवर्धन किया| उन्हीं में से एक थीं दीपा दास मैम जिन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं ब्लॉग लिखूं और उनकी सलाह का पालन करते हुए मैंने 29 अप्रैल सन 2018 को महाराणा अमर सिंह जी पर अपना पहला ब्लॉग लिखा और वहां से शुरू हुआ सिलसिला मेरे जीवन के एक नए अध्याय का| मेरे ब्लॉग हमेशा ही लोगों की प्रशंसा का केंद्र रहे हैं परंतु मैंने कई आलोचनाएं भी सही, क्योंकि आलोचना उसी की होती है जिसकी प्रशंसा होती है| मेरे इस सफर में एक और व्यक्ति का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है और वह है मेरे चाचा श्री अकाश श्रीवास्तव जिन्होंने मुझे बताया कि किस प्रकार से ब्लॉग को हर एक जन सामान्य तक पहुंचाना है, और मुझे अपना ब्लॉग शुरू करने में सहयोग किया। इस प्रकार से शुरू हुई यात्रा HISTORY TALKS BY PARAM की,जिसे आज आप सब एक पुस्तक के रूप में पढ़ रहे हैं। आप सब हमारे ब्लॉग www.paramkumar.in पर जा के पढ़ सकते हैं साथ ही आप हमरे यू-ट्यूब(youtube) विडिओ यू-ट्यूब(youtube) पर जाकर HISTORY TALKS BY PARAM सर्च कर देख सकते हैं| आपका आभार परम कुमार (कृष्ण पब्लिक स्कूल,रायपुर, छत्तीसगढ़)

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