अंतिम गुजारिश
₹ 210 ( Paper Back )
- Author Rita Kumari
- ISBN 9789389960631
- Category Fiction
- No of Pages 102
- Publisher Rudra Publications
- SKU Code RP-2021-0004
- Book Size 33
- Publishing Date
- Language Hindi
यह कहानी संग्रह ‘‘अंतिम गुजारिश’’ लेखिका की एक अनुपम भेट है, जिसमें बहुत ही मार्मिक और कलात्मक कहानियों का संग्रह है। इस संग्रह में वर्णित कहानियों में नारी मन के मर्मस्पर्शी दास्तान केा बड़े ही हृदय स्पर्शी ढ़ंग से दर्शाया गया है, जिसमें आज के भौतिकवादी युग में नारी हृदय पर होते घात-प्रतिघात का मनोवैज्ञानिक चरित्र चित्रण दिल को छू लेता है। आाज सारी आधुनिकता के बाद भी नारी के दायरे काफी सिमटे हुऐ हैं। उच्चशिक्षिता होने पर भी उन्हे किस कदर मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है,उसका प्रभावपूर्ण और सटीक चित्रण किया गया है। इसके साथ ही स्त्री मन के विभिन्न पहलुओं को भी दर्शाया गया है। यह कहानी संग्रह ‘‘अंतिम गुजारिश’’ लेखिका की एक अनुपम भेट है, जिसमें बहुत ही मार्मिक और कलात्मक कहानियों का संग्रह है। इस संग्रह में वर्णित कहानियों में नारी मन के मर्मस्पर्शी दास्तान केा बड़े ही हृदय स्पर्शी ढ़ंग से दर्शाया गया है, जिसमें आज के भौतिकवादी युग में नारी हृदय पर होते घात-प्रतिघात का मनोवैज्ञानिक चरित्र चित्रण दिल को छू लेता है। आाज सारी आधुनिकता के बाद भी नारी के दायरे काफी सिमटे हुऐ हैं। उच्चशिक्षिता होने पर भी उन्हे किस कदर मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है, उसका प्रभावपूर्ण और सटीक चित्रण किया गया है।इसके साथ ही स्त्री मन के विभिन्न पहलुओं को भी दर्शाया गया है। बदलते वक्त के साथ स्त्री जीवन में बहुत कुछ बदल गया है।उसके रहने-सहने के ढंग के साथ, सोचने समझने के दायरें भी बढ़े हैं।फिर भी आज, उनकें दायरों की सीमाएं पुरूष ही तय करतें हैं।इन कहानियों में लेखिका ने पुरूषों के इस वर्चस्व पर गहरा प्रहार किया है। अभिषेक अनंत, अघिकारी, एस.बी.आई
- Name Rita Kumari
- Website www.rudrapublications.com
About Author
आधुनिक लेखिकाओं में रीता कुमारी एक सशक्त हस्ताक्षर है।इनका जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ है।बिहार यूनिवर्सिटी से इनहोने बाॅटनी से एमएससी तक की पढ़ाई पूरी की है।इनके पिता जी श्री विजय कुमार श्रीवास्तव,टिचर्स ट्रेनिंग स्कूल में प्रिंसपल थे। मां देवी सिया देवी,वह भी लेखन में रूची रखती है।आजकल आप पटना में रहकर लेखन कार्य कर रहीं हैं। लेखन का शौक तो इन्हे बचपन से ही था।पर लेखन कार्य इन्होने 2002 से शुरू किया।इनकी पहली कहानी ‘‘दीदी’’ मेरी सहेली नामक हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रका शित हुई थी।उसके बाद से आपकी कहानियां निरंतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही।इनकी कहानियों में आधुनिकता और परंपरानिष्ठा का विल़क्षण मेल नजर आता है। सदियों से पराधीन रही नारी के हक के लिए जिस संवेदनशीलता से रीता जी अपनी कहानियों में आवाज उठाती है,वह उल्लेखनीय है।उनके विचार से स्त्रियों को अपनी अस्मिता बचाने के लिए कोई समझौता नहीं करना चाहिए। इस कहानी संग्रह में उनकी कुछ चुनी हुई कहानियां है।सभी कहानियों में उच्चशिक्षित औरतों के मानसिक आघात का बहुत ही मार्मिक चित्रण है ,जो किसी को भी भीतर तक झकझोर देने के लिए काफी है,जो उनके विलक्षण प्रतिभा को दर्शाता है।