गोलाबाड़ी
₹ 499 ( Paper Back )
- Author Dr. Sudhakar Thakur
- ISBN 9789389960495
- Category Fiction & Fantasy
- No of Pages 289
- Publisher Rudra Publications
- SKU Code RP-2020-0001
- Book Size 33
- Publishing Date
- Language Hindi
यह एक आंचलिक उपन्यास है जिसमें बिहार राज्य के तत्कालीन पूर्णियाँ जिले (वर्तमान अररिया जिला) के एक राज घराना, कुछ जमींदार घरानों और संथालों की कहानी वर्णित है! ये सभी परिवार और लोग एक जंगल जिसका नाम गोलाबाड़ी है पर अपना आधिपत्य जमाने के लिए तीन सदियों तक युद्ध लड़ते रहे ! इन तीन सदियों में यहाँ अनेकों बार हत्याएं हुई और लगभग हर सदी में इस जंगल के स्वामित्व का परिवर्तन होता रहा !! इस उपन्यास में एक स्कूल का भी वर्णन है जिस स्कूल के माध्यम से इस क्षेत्र में शिक्षा की किरण आज वर्षों से स्फुटित हो रही है, जिससे आज इस क्षेत्र के लाखों घरों में जीवन अंधकार से रौशनी की ओर पुरोगामी है ------ गोलाबाड़ी सिर्फ एक उपन्यास हीं नहीं अपितु एक ऐसी महाकथा है जिसमें इनके हर पात्रों और परिवारों को उनकी अपनी करनी के अनुसार फलाफल इस वर्तमान कलयुग में मिलता रहा है ------ प्रेम, घृणा, विश्वास और षड्यंत्र के मिश्रण से रचित ये महाकथा एक बेमिसाल कहानी है जो सदियों तक खंड दर खंड लोगों ने अपने वंसजों को सुनाई है, आशा हीं नहीं अपितु दृढ़ विश्वास है कि पूर्ण अनुसंधान के उपरांत लिखी गई यह कथा पाठकों की आकांक्षा को पूर्ण करने में सफल साबित होगी !!
- Name Dr. Sudhakar Thakur
- Website www,rudrapublications.com
About Author
डॉ॰ सुधाकर ठाकुर का जन्म 5 मार्च 1975 को बिहार राज्य के तत्कालीन पूर्णियाँ और वर्तमान अररिया जिले के लहसनगंज गाँव में हुआ था, किसान परिवार में जन्मे इनकी प्राथमिक शिक्षा अपने गाँव में संपन्न होने के बाद माध्यमिक और मैट्रिक्युलेशन की शिक्षा रामनंदन उच्च विद्यालय रमै, इंटरमीडिएट शिक्षा टी॰एन॰बी॰ कॉलेज भागलपुर और उच्च शिक्षा पटना, दिल्ली, प्रयागराज और केरला में हुई है ! पशुचिकित्सा में स्नातक के बाद इन्होंने मैनेजमेंट की पढ़ाई भी की है ! पेशे से पशुचिकित्सक डॉ॰ ठाकुर की रुचि बचपन से छोटी छोटी कहाँनियों को लिखने की रही है ! केरल जैसे गैर हिन्दी भाषी प्रदेश में पशुचिकित्सा की पढ़ाई के समय में भी कॉलेज के साहित्य बोर्ड पर हमेशा उनकी लिखी हिन्दी रचनाएँ लगाई जाती थी ! चिकित्सा और साहित्य के साथ साथ इनकी रुचि सामाजिक कार्यों में भी रही है ----- पढ़ाई सम्पन्न करने के उपरांत इन्होंने अपना पंद्रह वर्षों का योगदान पशुपालन से जुड़े सरकारी और गैर सरकारी परियोजनाओं में दिया है !